नीतीश कुमार कह रहे हैं कि उपेंद्र कुशवाहा पार्टी से खुद निकल जाएं. वहीं कुशवाहा नीतीश से हिस्सेदारी लेने पर अड़े हैं. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि बिहार जेडीयू में जारी जंग कहां जाकर खत्म होगा?
जेडीयू के बागी उपेंद्र कुशवाहा ने एक बार फिर नीतीश कुमार के खिलाफ तीखा हमला करते हुए हिस्सेदारी की मांग की है. पटना स्थित आवास पर मीडिया से बात करते हुए कुशवाहा ने कहा कि हिस्सेदारी के लिए मैं केंद्रीय मंत्री का पद छोड़ सकता हूं तो विधान पार्षद का पद क्या चीज है?
कुशवाहा ने आगे कहा कि नीतीश कुमार ने संसदीय बोर्ड अध्यक्ष बना कर मुझे लॉलीपॉप थमा दिया है. जब भी मैं कोई सुझाव देने जाता हूं तो नीतीश कहते हैं, आप बीजेपी में जाना चाहते हैं. उन्होंने 1994 में नीतीश और लालू की लड़ाई का भी जिक्र किया.
कुशवाहा और नीतीश में जारी जंग के बीच सवाल उठ रहा है कि जेडीयू हाईकमान संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है? जेडीयू से उपेक्षित महसूस कर रहे उपेंद्र कुशवाहा भी पार्टी क्यों नहीं छोड़ रहे हैं? आइए सिलसिलेवार तरीके से जानते हैं…
नीतीश और उपेंद्र कुशवाहा के बीच सियासी द्वंद के हाल फिलहाल में थमने की आशंका कम है. बिहार में नीतीश सरकार का कैबिनेट विस्तार होना है. माना जा रहा है कि दोनों नेताओं में सियासी बयानबाजी और अधिक बढ़ सकती है.
कुशवाहा के साथ वर्तमान में ना तो एक भी विधायक है और ना ही संगठन का कोई बड़ा नेता उनका सपोर्ट कर रहा है. ऐसे में कोई दूसरी पार्टी भी उन्हें शायद ही हाथों-हाथ ले. ऐसे कुशवाहा भी बयानों के जरिए शक्ति प्रदर्शन करते रहेंगे.
जेडीयू भी उपेंद्र कुशवाहा के बयानों का लक्ष्मण रेखा माप रही है. नीतीश के खिलाफ विवादित बयान देने पर ही उन्हें नोटिस थमाया जाएगा. ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि खरमास के बाद जेडीयू में शुरू हुई खटपट कब खत्म होगी?