संपूर्ण क्रान्ति राष्ट्रीय मंच (अखिल भारतीय) के बिहार राज्य इकाई द्वारा जे.पी. आन्दोलन जो मार्च 1974 को छात्र-युवा संगठनों द्वारा मँहगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और एक समान राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर शुरू किया गया था, उसके 50 वर्ष बीत जाने पर “स्वर्ण जयंती समारोह” का समापन आज गाँधी मैदान, पटना के जे.पी. गोलम्बर परिसर में मंच के राष्ट्रीय संयोजक श्री राम प्रवेश सिंह की अध्यक्षता में उस आन्दोलन में जो 1975 के आपातकाल की समाप्ति यानी 1977 तक चला के शहीदों के प्रति पुष्पांजलि अर्पित की गयी तथा 18 मार्च 1974 से 2024 तक के लोकतंत्र रक्षक व व्यवस्था
परिवर्त्तन के दिवंगत सेनानियों को श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनकी आत्मा की शांति हेतु प्रार्थना करते हुए संकल्प लिया गया कि आपने व्यवस्था परिवर्तन के लिए जे.पी. के आह्वान पर संपूर्ण क्रान्ति तथा आपातकाल में संविधान व लोकतंत्र के रक्षार्थ जो कुर्बानियां दी हैं, उसकी लौ को बूझने नहीं देंगे।
इसके उपरान्त अपराह्न 12:30 बजे से आई.एम.ए. सभाकक्ष में 1974 से 2024 के बीच “व्यवस्था परिवर्तन आन्दोलन का प्रभाव” पर विमर्श किया गया जिसका उद्घाटन उत्तर प्रदेश संपूर्ण क्रान्ति राष्ट्रीय मंच के प्रदेश संयोजक सह राष्ट्रीय मंच कोर समिति पूर्वी व उत्तरी भारत के संगठन प्रभारी डा.
रमाशंकर सिंह (लोकतंत्र सेनानी) तया अध्यक्षता व सम्बोधन राष्ट्रीय संयोजक श्री राम प्रवेश सिंह (जे.पी. सेनानी) ने किया, इसके पूर्व बिहार प्रदेश इकाई के आयोजन सह स्वागत समिति, संपूर्ण क्रान्ति राष्ट्रीय मंच से प्रदेश महासचिव देव नारायण झा, ब्रजकिशोर दूबे, रामवरण कुशवाहा, कोषाध्यक्ष- सिद्धनाय पाण्डेय, प्रवक्ता प्रभुदत्त भारती, संगठन मंत्री जैनेन्द्र कुमार सिंह, जवाहर लाल सिंह वगैरह सहित उपस्थित पदेश पदाधिकारियों व जिला अध्यक्षों ने माला पहनाकर एवं चादर पोशी कर देश से आये हुए सभी प्रदेश के साथियों का स्वागत किया और रंग गुलाल लगाकर होली महोत्सव भी मनाया गया। इस अवसर पर सर्वसम्मति से निम्न प्रस्ताव परित कर केन्द्र व सभी राज्य सरकारों से आग्रह किया गया कि1. उस आन्दोलन के मूल मुद्दे को नहीं भूलें तथा उद्देश्यों की पूर्ति करें।2. उक्त आन्दोलन में तथा 25 जून 1975 से 1977 तक
लगायी गयी “आपातकाल” में संविधान व लोकतंत्र तथा नागरिकों से छीने गये मौलिक अधिकार व स्वतंत्रता की रक्षा में संघर्षरत, जेलगत, भूमिगत एवं तरह-तरह की यातनाएँ भोगियों को “लोकतंत्र सेनानी” घोषित कर ‘स्वतंत्रता सेनानी’ के समकक्ष का दर्जा और उसी पैर्टन पर समान पेंशन एवं अन्य सुविधाएँ दी जाय।3. 1975 के आपातकाल के वरिष्ठ एवं सुयोग्य महानुभावों, विभूतियों को सवैधानिक पदों जैसे राज्यपाल, राज्य सभा सदस्यों या अन्य स्थानों में पद देकर सम्मानित कर उनके अनुभव व ज्ञान का लाभ संबंधित सरकारें उठाकर सम्मान प्रदर्शित करें।4. स्वतंत्रता से लेकर जे.पी. आन्दोलन या आपातकाल के भुक्त भोगियों के विचारक कुशल शासक, रचनात्मक कार्यों में अहम योगदान देने वाले महापुरुषों व विभूतियों जैसे संविधान सभा के सदस्य व बिहार राज्य निर्माण में अहम योगदान देने वाले डा. सच्चिदानन्द
सिन्हा, जमीनदारी प्रथा खत्म कराने व स्वतंत्रा आन्दोलन से किसान आन्दोलन के नायक स्वामी सहजानन्द सरस्वती, डा. राम मनोहर लोहिया- समाजवादी विचारक, डा. श्रीकृष्ण सिंह (पूर्व मुख्यमंत्री) जिन्होंने दलितों का प्रवेश बाबा वैजनाथ मंदिर में कराया, राज नारायण जी जिन्होंने कोर्ट व वोट में तानाशाह को परास्त किया व बाबा विश्वनाथ मंदिर में दलितों का प्रवेश दिलाया, अन्ना हजारे जिन्होंने चीन युद्ध में तया भ्रष्टाचार के विरूद्ध लड़ाई लड़ी, आचार्य नरेन्द्र देव (विद्वान) नाना जी देश मुख वगैरह को।5. 16 फरवरी 2024 को बिहार के मुख्यमंत्री को हमारे राष्ट्रीय संयोजक द्वारा हस्तगत कराए गये लिखित ज्ञापन एवं विमर्श किये गये मौखिक सुझावों को अमलिजामा पहनाया जाय।(रामबरण कुशवाहा) प्रदेश महासचिव संपूर्ण क्रान्ति राष्ट्रीय मंच, बिहार