नीतीश कुमार के नेतृत्व में अति पिछड़े मुसलमानों को उचित भागीदारी संभवः सलीम परवेजअतिपिछड़े मुसलमानों को एकजुट करने के लिए राज्य का भ्रमण करेगी समितिपटना, 5 मार्च 2024ः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही अति पिछड़े मुसलमानों को उचित भागीदारी मिल सकती है।
नीतीश कुमार ने राज्य में जातीय जनगणना काराई है। इसके बाद राज्य की न केवल आम जातियों बल्कि मुस्लिम समुदाय की तमाम जातियों का आंकड़ा सामने आ गया है। मुख्यमंत्री राज्य के विकास के लिए चिन्तित रहते हैं इसी कारण उन्होंने जाति आधारित जनगणना कराई है। इस गणना के बाद यह उम्मीद जगी है कि वे राज्य के अति पिछड़े मुसलमानों को हर क्षेत्र में आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व देंगे।उक्त बातें बिहार राज्य मदरसा शि़क्षा बोर्ड के अध्य़क्ष में बिहार विधान परिषद के पूर्व कार्यकारी सभापति सलीम परवेज ने आज पटना के गांधी संग्रहालय में अति पिछड़ा मुस्लिम महाज द्वारा आयोजित अति पिछड़ा मुस्लिम राजनैतिक अधिकार सम्मेलन में अपने अध्यक्षीय भाषण में कही।उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेत्त्व में बिहार न्याय के साथ विकास के पथ पर अग्रसर है एवं सभी समुदाय को इसका लाभ भी मिल रहा है। उन्होंने आगमी चुनावों में नीतीश कुमार के हाथों को
मजबूत करने का आहवान् किया ताकि अति पिछड़े मुसलमानों को उचित भागीदारी मिल सके। नीतीश कुमार जहां भी रहे हमलोगों को नहीं छोड़ा। उनकी सरकार में राज्य में पर्व त्योहार शांतिपूर्वक सम्पन्न हो जाते हैं। श्री सलीम परवेज ने कहा कि नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना करा कर एक तीर से कई निशाने लगा दिए हैं, अब हम लोगों का काम है कि अपना अधिकार कैसे प्राप्त करें।इस अवसर पर उन्होंने अति पिछड़े मुसलमानों के आहवान् किया के वे लोग एकजुट हों तभी उन्हें सत्ता से लेकर हर क्षेत्र में आबादी के अनुपात में उचित भागीदारी मिलेगी।उन्होंने घोषणा की कि अतिपिछड़ा मुस्लिम समाज को उचित भागीदारी पर रणनीति बनाने के लिए छः सदस्यीय समिति का गठन किया गया है जो विशेष गाड़ी से राज्य भर का भ्रमण करेगी और अतिपिछड़े मुसलमानों को न केवल एकजुट करेगी बल्कि उनके वाजिब अधिकार के लिए प्रयत्नशील रहेगी।
इस अवसर पर हेसामुद्दीन अंसारी तथा अशरफ अंसारी ने कहा कि अतिपिछड़ा मुस्लिम समाज आज भी हाशिए पर खड़ा है। जातीय जनगणना के उपरान्त सभी मुस्लिम जातियों के आंकडे़ सामने आ गए है। मुस्लिम अति आबादी 18.5 प्रतिशत में 14.5 प्रतिशत अतिपिछड़ा मुस्लिम समाज है। इसमे अति पिछड़ा मुस्लिम में एक नंबर की आबादी वाली जाति अंसारी उसके बाद मंसूरी एवं राईन एवं साई जाति है। आजादी से अबतक जातिगत सांसद, विधायक, विधान पार्षद, बोर्ड व निगमों और आयोग में देखें तो मुस्लिम समाज की अगड़ी जातियां ही सारा हिस्सा डकार जाती हैं। अतिपिछड़ी मुस्लिम समाज को कुछ हासिल नहीं होता। मजहबी एदारों पर भी आगड़ी मुस्लिम जातियां काबिज है और राजनैतिक तौर अगड़ी जाति के पीछे पुरे दम खम से खड़ी रहती है और पिछड़े समाज को सिर्फ मजहबी उन्माद में उलझा कर आगड़ी जातियां मलाई खा जाती है। मुसलमान के नाम पर धोखा, फरेब सदियों से होता आ रहा है। अतिपिछड़ा मुस्लिम महाज आबादी के अनुपात में अपने हक व अधिकार की मांग सभी दलों से करता है।इस सम्मेलन में प्रस्ताव पारित कर सरकार से निम्न मांगें की गयीं:- 1. अति पिछड़ा मुसलमानों को आबादी के अनुपात में राजनीतिक एवं अन्य स्थानों पर भागीदारी सुनिश्चित की जाये। 2. महान स्वतंत्रता सेनानी अब्दुल कैयूम अंसारी तथा दशरथ मांझी का भारत रत्न दिया जाये।3. शिक्षण संस्थाओं में आरक्षण रोस्टर लागू किया जाये।4. बुनकर समुदाय के उत्थान के लिए कारगर कदम उठाऐ जायें।5. पंचायत में मुस्लिम अति पिछड़ा को आबादी के अनुपात में आरक्षण सुनिश्चित किया जाये।सभा को सम्बोधित करने वालों में जदयू नेत्री शगुफ्ता परवीन, प्रोफेसर वायजुल हक अंसारी, कम्युनिस्ट नेता गुलाम सरवर आजाद, गुलाम गौस राईन, अब्दुल हलीम मुखिया जी (बखरी, बेगुसराय) के नाम उल्लेखनीय हैं।